Jaunpur News : ​ मिलेट्स खायें एवं बीमारियों को दूर भगायें: डा. रमेश चन्द्र

शाहगंज, जौनपुर। कृषि विभाग द्वारा शुक्रवार को स्थानीय विकास खण्ड में स्थित बीआरसी सभागार में उत्तर प्रदेश मीलेट्स पुनरोद्धार योजना अन्तर्गत स्कूल अध्यापकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ जहां श्री अन्न के महत्व एवं उपयोगिता से अध्यापकों को प्रशिक्षित किया गया।
इस मौके पर प्रशिक्षक उप परियोजना निदेशक आत्मा डा. रमेश चंद्र यादव ने अध्यापकों को सम्बोधित करते हुये कहा कि सरल शब्दों में कहें तो गेहूं और चावल को छोड़कर ज्वार, बाजरा, मक्का, सावा, कोदो, रागी, जौ, जई आदि को मोटे अनाज में शुमार किया जाता है। गेहूं और चावल की तुलना में मोटे अनाजों की सतह तुलनात्मक रूप से खुरदरी होती है। आहार व पोषण विशेषज्ञ मोटे अनाजों की खूबियों से इतने प्रभावित हैं कि इन्हें सुपरफूड्स के रूप में मान्यता दे रहे। अध्यापक अपने विद्यालय के छात्र—छात्राओं को मोटे अनाज की उपयोगिता से जागरूक करें, ताकि उनके परिजन मोटे अनाज की खेती करें। श्री अन्न को एमडीएम में भी शामिल किया जायेगा जिससे जनपद में मीलेट्स के उत्पादन को बल मिलेगा। मानव स्वास्थ्य बेहतर होगा तथा किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। मोटे अनाजों की उपयोगिता को देखते हुये सरकार ने श्री अन्य योजना का नाम दिया है। दूसरे अनाजों की तरह ही मोटे अनाज चीला, खीर, खिचड़ी, दलिया, कटलेट, सूप, उपमा, डोसा, इडली, बिस्कुट स्नेक्स, चिक्की आदि रूपों में खाया जा सकता है।
खण्ड शिक्षा अधिकारी बसन्त शुक्ल ने कहा कि श्री अन्न से बने खाद्यान्न एमडीएम में सम्मिलित किये जाने से बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के साथ मीलेट्स पुनरोद्धार को बढ़ावा मिलेगा। स्कूल छात्रों एवं छात्राओं के माध्यम से उनके अभिभावकों को मिलेट्स के उपभोग हेतु जागरूक किया जायेगा। कृषि वैज्ञानिक डा. हरिओम वर्मा ने कहा कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स  रिसर्च (आईआईएमआर) हैदराबाद के अनुसार मोटे अनाज सिलिएक डिजीज के इलाज में लाभप्रद है। इसका कारण है मोटे अनाज ग्लूटेन फ्री है। गेहूं में ग्लूटेन नामक तत्व पाया जाता है जिससे कुछ लोगों में सीलिएक बीमारी रोग हो जाता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षक संघ के डा. अरविन्द सिंह तथा संचालन एडीओ एजी. धर्मेन्द्र कुमार ने किया। इस अवसर पर 50 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं की उपस्थिति रही।

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