ऊर्जा मंत्री जनपद के प्रभारी मंत्री, फिर भी बिजली व्यवस्था फेल
राकेश शर्मा
खेतासराय, जौनपुर। प्रदेश सरकार द्वारा बेहतर और निर्बाध बिजली आपूर्ति के दावों के बीच ज़मीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर पेश कर रही है। क्षेत्र के अहिरो परशुरामपुर (कलापुर) फीडर से जुड़े दर्जनों गाँवों के ग्रामीण बीते एक सप्ताह से लगातार लो वोल्टेज, बार-बार कटौती और ट्रांसफार्मर की खराबी से बुरी तरह हलाकान हैं। इस क्षेत्र में आने वाले अहिरो परशुरामपुर, नौली, सफीपुर, सैद गोरारी, आर्यनगर गोरारी, कलांपुर, लेदरही समेत अन्य गाँवों में स्थिति और भी दयनीय हो चुकी है। एक हफ़्ते से लगातार रात में बिजली नही मिल रही है। आलम यह है कि बच्चों की पढ़ाई से लेकर किसानों की सिंचाई तक सब कुछ ठप पड़ गया है। उक्त फीडर से जुड़े दर्जनों गाँवों के ग्रामीणों ने बताया कि बीते एक सप्ताह से बिजली कभी आती है तो कभी चली जाती है। और जब आती भी है तो वोल्टेज इतना कम होता है कि पंखा और बल्ब भी ठीक से नहीं जलते। इससे मोबाइल चार्ज करने, मोटर चलाने और घरेलू कामों में भारी दिक्कत हो रही है।
ग्राम प्रधान गोरारी का आरोप— खुद मरम्मत करवा रहे हैं ट्रांसफार्मर
इस बाबत पूछे जाने पर ग्राम प्रधान गोरारी का आरोप है बिजली विभाग के जेई को फोन किया लेकिन कोई नहीं आया। गांव के लोगों ने चंदा करके 4 हज़ार रुपये इकट्ठा किए और ट्रांसफार्मर की मरम्मत करवाई। जब जनता ही सब कुछ करेगी तो विभाग क्यों बैठा है?
ग्रामीणों की व्यथा: बिजली है तो जीवन है
दिनेश सेठ का कहना है कि बिजली विभाग में शिकायत करने पर सिर्फ आश्वासन मिलता है, काम कुछ नहीं होता। शाम को घर अंधेरे में डूबा रहता है। अब बच्चे पढ़ाई करें या हम मजदूरी करें?
चन्द्रावती देवी बताती हैं कि लो वोल्टेज की वजह से पंखा तक नहीं चलता। बारिश के मौसम में उमस उमस भरी गर्मी में जीना मुहाल हो गया है। मोबाइल चार्ज करने के लिए पड़ोस के गाँव जाना पड़ता है।
पिंटू कोटेदार का कहना है कि हमारे खेतों में मक्का और धान खड़ी है। बिजली नहीं होने से ट्यूबवेल नहीं चल रहा। डीजल से चलाते हैं तो हर दिन 500-700 रुपये का खर्च आ जाता है। सरकार कहां है? रात को बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई करना मुश्किल हो गया है। वोल्टेज इतना कम है कि मोबाइल चार्ज नहीं होता। घर में सिर्फ नाम की बिजली आ रही है।
शशिकांत का कहना है कि फ्रिज और लाइट सब बेकार पड़े हैं। दुकान पर ग्राहक आते हैं लेकिन सामान ठंडा नहीं रख पाते। बार-बार कटौती से इन्वर्टर भी जवाब दे गया। पंखा नहीं चलता, खाना बनाते समय पसीना-पसीना हो जाते हैं। बच्चे चिल्लाते हैं लेकिन क्या करें। बिजली का कोई भरोसा नहीं है।
अधिकारी फोन उठाना नहीं समझते हैं मुनासिब
एक सप्ताह से समस्या को लेकर जूझ रहे ग्रामीणों ने जिम्मेदारों पर आरोप लगाया है कि समस्या समाधान के लिए जब फ़ोन किया जाता है तो अधिकारी फ़ोन नहीं उठाते हैं और न ही पेट्रोलिंग करते हैं। समस्या का सही समय पर निदान नहीं करते हैं। इस तरह से जिम्मेदारों का लापरवाही से जनता का काफी आक्रोश व्याप्त है। इस सम्बन्ध में जब जेई अहिरो परशुरामपुर राघवेंद्र सिंह से बात करने की कोशिश की गई तो फ़ोन उठाना मुनासिब नहीं समझा।
सरकार के दावे एवं जमीनी सच्चाई में अन्तर
प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा, जो जनपद के प्रभारी मंत्री हैं। उनके पास जिले का प्रभार भी है। बार-बार प्रदेश की बिजली व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे करते रहे हैं लेकिन खेतासराय जैसे ग्रामीण क्षेत्रों की हालत उनके दावों की पोल खोल रही है। जब जनता खुद पैसे खर्च कर ट्रांसफार्मर ठीक करवाने लगे तो यह सीधे-सीधे बिजली विभाग की लापरवाही को उजागर करता है।

राकेश शर्मा
खेतासराय, जौनपुर। प्रदेश सरकार द्वारा बेहतर और निर्बाध बिजली आपूर्ति के दावों के बीच ज़मीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर पेश कर रही है। क्षेत्र के अहिरो परशुरामपुर (कलापुर) फीडर से जुड़े दर्जनों गाँवों के ग्रामीण बीते एक सप्ताह से लगातार लो वोल्टेज, बार-बार कटौती और ट्रांसफार्मर की खराबी से बुरी तरह हलाकान हैं। इस क्षेत्र में आने वाले अहिरो परशुरामपुर, नौली, सफीपुर, सैद गोरारी, आर्यनगर गोरारी, कलांपुर, लेदरही समेत अन्य गाँवों में स्थिति और भी दयनीय हो चुकी है। एक हफ़्ते से लगातार रात में बिजली नही मिल रही है। आलम यह है कि बच्चों की पढ़ाई से लेकर किसानों की सिंचाई तक सब कुछ ठप पड़ गया है। उक्त फीडर से जुड़े दर्जनों गाँवों के ग्रामीणों ने बताया कि बीते एक सप्ताह से बिजली कभी आती है तो कभी चली जाती है। और जब आती भी है तो वोल्टेज इतना कम होता है कि पंखा और बल्ब भी ठीक से नहीं जलते। इससे मोबाइल चार्ज करने, मोटर चलाने और घरेलू कामों में भारी दिक्कत हो रही है।
ग्राम प्रधान गोरारी का आरोप— खुद मरम्मत करवा रहे हैं ट्रांसफार्मर
इस बाबत पूछे जाने पर ग्राम प्रधान गोरारी का आरोप है बिजली विभाग के जेई को फोन किया लेकिन कोई नहीं आया। गांव के लोगों ने चंदा करके 4 हज़ार रुपये इकट्ठा किए और ट्रांसफार्मर की मरम्मत करवाई। जब जनता ही सब कुछ करेगी तो विभाग क्यों बैठा है?
ग्रामीणों की व्यथा: बिजली है तो जीवन है
दिनेश सेठ का कहना है कि बिजली विभाग में शिकायत करने पर सिर्फ आश्वासन मिलता है, काम कुछ नहीं होता। शाम को घर अंधेरे में डूबा रहता है। अब बच्चे पढ़ाई करें या हम मजदूरी करें?
चन्द्रावती देवी बताती हैं कि लो वोल्टेज की वजह से पंखा तक नहीं चलता। बारिश के मौसम में उमस उमस भरी गर्मी में जीना मुहाल हो गया है। मोबाइल चार्ज करने के लिए पड़ोस के गाँव जाना पड़ता है।
पिंटू कोटेदार का कहना है कि हमारे खेतों में मक्का और धान खड़ी है। बिजली नहीं होने से ट्यूबवेल नहीं चल रहा। डीजल से चलाते हैं तो हर दिन 500-700 रुपये का खर्च आ जाता है। सरकार कहां है? रात को बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई करना मुश्किल हो गया है। वोल्टेज इतना कम है कि मोबाइल चार्ज नहीं होता। घर में सिर्फ नाम की बिजली आ रही है।
शशिकांत का कहना है कि फ्रिज और लाइट सब बेकार पड़े हैं। दुकान पर ग्राहक आते हैं लेकिन सामान ठंडा नहीं रख पाते। बार-बार कटौती से इन्वर्टर भी जवाब दे गया। पंखा नहीं चलता, खाना बनाते समय पसीना-पसीना हो जाते हैं। बच्चे चिल्लाते हैं लेकिन क्या करें। बिजली का कोई भरोसा नहीं है।
अधिकारी फोन उठाना नहीं समझते हैं मुनासिब
एक सप्ताह से समस्या को लेकर जूझ रहे ग्रामीणों ने जिम्मेदारों पर आरोप लगाया है कि समस्या समाधान के लिए जब फ़ोन किया जाता है तो अधिकारी फ़ोन नहीं उठाते हैं और न ही पेट्रोलिंग करते हैं। समस्या का सही समय पर निदान नहीं करते हैं। इस तरह से जिम्मेदारों का लापरवाही से जनता का काफी आक्रोश व्याप्त है। इस सम्बन्ध में जब जेई अहिरो परशुरामपुर राघवेंद्र सिंह से बात करने की कोशिश की गई तो फ़ोन उठाना मुनासिब नहीं समझा।
सरकार के दावे एवं जमीनी सच्चाई में अन्तर
प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा, जो जनपद के प्रभारी मंत्री हैं। उनके पास जिले का प्रभार भी है। बार-बार प्रदेश की बिजली व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे करते रहे हैं लेकिन खेतासराय जैसे ग्रामीण क्षेत्रों की हालत उनके दावों की पोल खोल रही है। जब जनता खुद पैसे खर्च कर ट्रांसफार्मर ठीक करवाने लगे तो यह सीधे-सीधे बिजली विभाग की लापरवाही को उजागर करता है।
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