Jaunpur News : ​शोभायात्रा के साथ मनाया गया श्री श्री ठाकुर का जन्म महोत्सव

जौनपुर। सत्संग विहार, कमला नगर, हुसैनाबाद के तत्ववाधान में रविवार को बीआरपी इण्टर कालेज मैदान में श्रीश्री ठाकुर अनुकूल चन्द्र जी का 138 वाँ जन्म महोत्सव भव्य शोभायात्रा के साथ मनाया गया जिसमें विभिन्न प्रान्तों व प्रदेश के जनपदों से ठाकुर के परम अनुभवी, उत्कृष्ट एवं विद्वान साधकों द्वारा परम दयाल के जीवन धारा पर प्रकाश डाला गया। शोभा यात्रा में हरि बोल और राधा बोल के कीर्तन से नगर लगातार गुंजायमान हो रहा था। यात्रा रोडवेज, जेसीज चौराहा, ओलन्दगंज होकर चहारसू से सदभावना पुल से वापस लौटी। इसमें ठाकुर का विशाल तैल चित्र ट्रैक्टर पर आगे चल रहा था। इसके बाद कीर्तन करते गुरूभाई माताये और बहने तथा हजारो की संख्या के लोग अनुशासित होकर चल रहेक थे। तत्पश्चात मातृ सम्मेलन और धर्म सभा तथा मेडिकल कैम्प आयोजित किया गया जिसमें सैकड़ो लोग लाभान्वित हुए। धर्म सभा का विषय था श्रीश्री ठाकुर का संत्संग समस्त विश्व को परिवार के देखता है। इस प्रकाश डालते हुए वक्ताओं ने कहा कि उनके बताये सि़द्धान्त यजन, याजन, ईष्ट भृत्ति, स्वसैनी और सदाचार से जीवन में उत्तरोत्तर वृद्धि की जा सकती है। विवाह नीति के बारे में ठाकुर का निर्देश है बच्चे सुस्ंकारित हो। जब तक पति पत्नी में प्रेम नहीं होगा बच्चे सही रास्ते पर नहीं चलेगे। सुप्रजनन के द्वारा अच्छे बच्चों को जन्म देने से ही परिवार और समाज का कल्याण होगा। उनका कहना था सबसे पहले मानव बनना जरूरी है। मर्नुभव की भावना से ही सभी समस्याओं का निदान संभव है। कामिनी कांचन से बचने का हर संभव प्रयास हो इसे न्युन किया जाय। मन न जगाये रंगाये जोगी कपड़ा। जीवन में आगे बढ़नें के लिए आदर्श पर चलना जरूरी है। आदर्श से जुड़े रहे उनके प्रत्येक निर्देश का पालन करें। धर्म जीवन को सही मार्ग पर चलना सिखाता है। सदगुरू के सरणापन्न रहे सतनाम का मनन करे तुम्हे अपने उन्नयन के लिए कुछ नहीं सोचना होगा। ठाकुर का कहना है कि चाह की अप्राप्ति ही है दुःख। किसी से कुछ मच चाहो दुःख तुम्हारा क्या करेगा। तुम किसी के दुःख का कारण न बनो कोई तुम्हारे दुख का कारण नहीं बनेगा। इसके पूर्व स्वागत भाषण एसपीआर काली प्रसाद सिंह एडवोकेट ने किया। सभा को एसपीआर श्यामल गांगुली नई दिल्ली, एसपीआर प्रकाश चन्द झा गोरखपुर, डा. आशीष घोष पन्तनगर, एसपीआर दीपी राग वैद्य काशी, शिवनाथ यादव बरेली, प्रो. अपरएन त्रिपाठी ने सम्बोधित किया। संचालन डा. दीपक सिंह व आभार डा. निलेश कुमार श्रीवास्तव ने व्यक्त किया।

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