महराजगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के केवटली में मुख्य यजमान सुभाष चंद्र जायसवाल के यहां आयोजित श्री मद्भागवत कथा में व्यास अखिलेश चंद्र मिश्र ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा मोह माया से दूर रहकर सत्कर्म करने की प्रेरणा देती है। हमारा हृदय संसार रूपी सागर है और हमारे अच्छे-बुरे विचार ही देवता और दानव के बीच होने वाले मंथन के समान हैं। कथा के दौरान उन्होंने ध्रुव के जीवन की कहानी बताते हुए कहा कि कैसे उन्होंने अपने पिता की गोद में बैठने की इच्छा पूरी करने के लिए तपस्या करते हुये भगवान को प्राप्त किया। इससे यह शिक्षा मिलती है कि हमें कठिनाइयों को भी अच्छे अवसरों के रूप में देखना चाहिए।
भक्त प्रह्लाद और नरसिंह अवतार पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हिरण्यकश्यप के अत्याचारों और प्रह्लाद की अटूट भक्ति में अंतत: भक्ति ही जीतती है। इसमें अंत में भगवान नरसिंह के रूप में अवतार लेकर प्रह्लाद की रक्षा करते हैं। यह प्रसंग भगवान की भक्ति में निहित शक्ति को दर्शाता है। भगवान के 24 अवतार संसार को बचाने और बुराई का नाश करने के लिए प्रकट होते हैं। इन कथाओं का मुख्य उद्देश्य लोगों को भक्ति और सत्कर्म के प्रति प्रेरित करना है। ज्ञान प्राप्त करने, आत्मविश्वास बढ़ाने और जीवन को सार्थक बनाने के लिए सत्संग बहुत ही आवश्यक है।
इस अवसर पर सुभाष चन्द्र, प्रकाश चन्द्र जायसवाल, अशोक कुमार, सोनू सेठ, राम किशोर सोनी, मोनू, अतुल कुमार, कुलदीप, संदीप, प्रदीप सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।
भक्त प्रह्लाद और नरसिंह अवतार पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हिरण्यकश्यप के अत्याचारों और प्रह्लाद की अटूट भक्ति में अंतत: भक्ति ही जीतती है। इसमें अंत में भगवान नरसिंह के रूप में अवतार लेकर प्रह्लाद की रक्षा करते हैं। यह प्रसंग भगवान की भक्ति में निहित शक्ति को दर्शाता है। भगवान के 24 अवतार संसार को बचाने और बुराई का नाश करने के लिए प्रकट होते हैं। इन कथाओं का मुख्य उद्देश्य लोगों को भक्ति और सत्कर्म के प्रति प्रेरित करना है। ज्ञान प्राप्त करने, आत्मविश्वास बढ़ाने और जीवन को सार्थक बनाने के लिए सत्संग बहुत ही आवश्यक है।
इस अवसर पर सुभाष चन्द्र, प्रकाश चन्द्र जायसवाल, अशोक कुमार, सोनू सेठ, राम किशोर सोनी, मोनू, अतुल कुमार, कुलदीप, संदीप, प्रदीप सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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