जौनपुर। उच्चतम न्यायालय के टीईटी शिक्षक पात्रता परीक्षा अनिवार्य करने संबंधी निर्णय के फैसले से जिले के हजारों शिक्षकों में खासा आक्रोश फैल गया है। प्रदेश के लाखों शिक्षकों और उनके परिवार का भविष्य अंधकार में होता देख जिले के शिक्षक आंदोलन की राह पर चल दिए हैं। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के बैनर तले राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ जौनपुर के आह्वान पर सोमवार को सैकड़ो शिक्षकों ने अपनी मांगों के समर्थन में कलेक्ट्रेट परिसर में जोरदार प्रदर्शन करते हुए इस काले कानून को खत्म करने की मांग उठाई। बाद में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजे गए मांग पत्र से जुड़ा ज्ञापन जिलाधिकारी डॉ दिनेश चंद्र के प्रतिनिधि के रूप में सिटी मजिस्ट्रेट इंद्र नंदन को दिया गया। इसके पहले राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिला संयोजक सत्येंद्र सिंह राणा की अगुवाई में शिक्षकों ने कहा कि इस काले कानून के फैसले को जब तक समाप्त नहीं किया जाएगा शिक्षक समाज चैन से नहीं बैठेगा क्योंकि इससे प्रदेश के लाखों शिक्षकों का परिवार सड़क पर आ जाएगा। उनके बच्चे भूखे करने लगेंगे। उन्होंने कहा कि यह फैसला जब से आया है प्रदेश के तमाम शिक्षक साथी इस फैसले से डर कर मौत को गले लगा चुके हैं।
उन्होंने देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग किया कि उच्च न्यायालय में इस फैसले के संबंध में तत्काल हस्तक्षेप करके लाखों शिक्षकों के साथ न्याय किया जा सके। सह संयोजक डॉ अभिषेक सिंह, केशव प्रसाद सिंह, डॉ रत्नेश सिंह, डॉ अरविंद प्रकाश सिंह, डॉ ज्ञान प्रकाश उपाध्याय, नीतू सिंह ने संयुक्त बयान में कहा कि एबीआरएसएम आपका ध्यान 1 सितम्बर 2025 को उच्चतम न्यायालय द्वारा सिविल अपील संख्या 1385/2025 में दिये गये निर्णय की ओर आकृष्ट कराना चाहता है, जिसके अनुसार सभी सेवारत शिक्षकों के लिए उनकी नियुक्ति तिथि चाहे जो भी रही हो शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी)को अनिवार्य कर दिया गया है। इस निर्णय ने देश भर के लाखों शिक्षकों की सेवा सुरक्षा और आजीविका को संकट में डाल दिया है।शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 तथा एनसीटीई की अधिसूचना दिनाँक 23 अगस्त 2010 के अंर्तगत स्पष्ट रूप से दो श्रेणियाँ मान्य की गई थी। वर्ष 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षक, जिन्हें टीईटी से छूट दी गई थी। वर्ष 2010 के बाद नियुक्त शिक्षक, जिनके लिए एक निश्चित अवधि में टीईटी करना अनिवार्य किया गया था।
उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय में इस तथ्य को अनदेखा कर दिया है। इस निर्णय से देशभर में लगभग 20 लाख से अधिक शिक्षक गहन चिंता और असमंजस की स्थिति में है। प्रदर्शन के अंत में ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ जौनपुर ने मांग किया है कि न्यायालय का यह निर्णय केवल भविष्यलक्षी रूप से लागू किया जाए, 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों पर नहीं। वैध नियमों के अंर्तगत नियुक्त अनुभवी शिक्षकों की सेवा सुरक्षा एवं गरिमा सुनिश्चित की जाए। लाखों शिक्षकों को सेवा समाप्ति अथवा आजीविका संकट से बचाने के लिए आवश्यक नीतिगत अथवा विधायी कदम शीघ्र उठाए जाएं। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिला संयोजक सत्येंद्र सिंह राणा के साथ मिथलेश यादव, देवकी देवी, आशीष सिंह, ब्लॉक अध्यक्ष शाहगंज अरविंद सिंह, प्रमोद कुमार, अरुण सिंह, दिनेश सिंह, जितेंद्र बहादुर सिंह, रत्नाकर यादव, रीना गुप्ता, अखिलेश चंद्र मिश्र, सारिका यादव, रंजना, औषधि, सुधाकर सिंह, दिनेश सिंह, शोभनाथ सिंह, पद्माकर समेत हजारों की संख्या में शिक्षक उपस्थित रहे।
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