Jaunpur News : ​ग्राम सचिवों पर सटीक बैठ रही 'एक अनार—सौ बीमार' वाली कहावत

जौनपुर। जनकल्याणकारी योजनाओं में लगातार वृद्धि के बाबत अब विकास खण्ड के सचिवों पर एक और जिम्मेदारी थोप दी गयी जिसके लिये सचिवगण अपने मूल कार्यों से विरत दिख रहे हैं। उन पर किसान पंजीकृत का कार्य दिया गया था जिसमें किसानों से ओटीपी लेना और सर्वर का समय से न चलना एक बड़ी समस्या है कि सरकार द्वारा एक नई योजना लागू कर दी गयी है। उक्त योजना के बाबत परिवार परिचय पत्र बनाना है जिसकी जिम्मेदारी ग्राम विकास के सचिवों को दी गयी है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि 'एक अनार—सौ बीमार', क्योंकि किसी जमाने में मात्र गांव के विकास के लिये ग्राम पंचायत अधिकारी जैसे पद का सृजन हुआ था लेकिन अब न जाने कितनी जिम्मेदारियां सौंप दी गयी हैं।
सूत्रों की मानें तो दोनों योजनाएं विफल होती दिख रही हैं। जैसे किसान पंजीकरण में समस्या खतौनी में नाम—जाति अधिकांश नहीं हैं और आधार कार्ड पर पूरा नाम होने की वजह से किसानों का पंजीकरण रद्द हो जा रहा है। वहीं अनपढ़ और गरीब किसान समय से ओटीपी न बता पाने से पंजीकरण रद्द हो रहा तो सर्वर न होने या बीच में कट जाने से रद्द हो रहा है जबकि खतौनी में नाम और जाति को सही एवं ठीक करने की जिम्मेदारी लेखपाल की होती है परन्तु उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। किसान रजिस्ट्रेशन हो अथवा न हो, सरकार की योजना का लाभ उन तक नहीं पहुंच पा रहा है। वहीं दूसरी तरफ परिवार परिचय पत्र बनाना है लेकिन घर के लोगों में 50% लोग जिला या प्रदेश से बाहर हैं। ऐसे मतें कैसे यह योजना पूर्ण हो सकेगी? इसमें भी वही ओटीपी आड़े आ रहा है। कितने तो ऐसे भी हैं जो आज हो रहे साइबर अपराध के कारण ओटीपी नहीं बता रहे जिसके चलते उसके पूर्ण सफल होने में आशंका जतायी जा रही है।
बताते चलें कि ब्लाक में दिये गये क्षेत्रों के कार्य को ही पूर्णतः सम्पादित करना ही महत्वपूर्ण होगा। उसमें भी आये दिन नयी प्रक्रिया भुगतान के लिये बढ़ा दिया जाता है जिसमें ग्राम प्रधान एवं सचिव की फेस आईडी बनकर ही भुगतान किया अथवा कराया जायेगा जिसमें दोनों की सहभागिता होना महत्वपूर्ण है परन्तु सचिव काम करना चाहता है तो प्रधान नहीं और जब प्रधान चाहता है तो सचिव नहीं। ऐसे में न गांव का विकास संभव है और न ही सरकारी योजनाओं से ग्रामीण लाभान्वित हो सकेंगे, इसलिए अब इन कार्यों के लिये अलग से क्षेत्र निरीक्षक नियुक्त किये जायं जिससे विकास खण्ड अन्तर्गत विकास का कार्य पूर्ण रूप से किया और कराया जा सके। खाते में धन आना और नियम से भुगतान सम्बन्धित कार्यवाही से कहीं न कहीं ग्राम प्रधान खुद में ही समस्याग्रस्त दिखायी दे रहे हैं। चर्चाओं की मानें तो शायद अधिकारियों के आदेशों की भी धता बता रहे हैं जिससे खण्ड विकास अधिकारियों सहित उच्चाधिकारियों के आदेश भी 'ढाक के तीन पात' साबित हो रहा है।

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