Jaunpur News : ​जौनपुर में सम्पन्न हुई ग्रीष्मकालीन वेद एवं रामायण अभिरूचि कार्यशाला

सिरकोनी, जौनपुर। स्थानीय विकास क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय चकताली में चल रही ग्रीष्मकालीन वेद एवं रामायण अभिरुचि कार्यशाला का भव्य एवं दिव्य समापन समारोह सम्पन्न हुआ। यह कार्यशाला उत्तर प्रदेश सरकार, अंतरराष्ट्रीय रामायण शोध संस्थान अयोध्या, संस्कृति विभाग, संस्कार भारती एवं एडूलीडर्स यूपी ग्रुप के सहयोग से प्रदेश के 75 जनपदों में आयोजित की जा रही थी। जौनपुर में कार्यक्रम का संयोजन डॉ. उषा सिंह के नेतृत्व में हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां वीणा वादिनी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ जहां जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. गोरखनाथ पटेल, प्रधानाचार्य टी.डी. इंटर कॉलेज डॉ. सत्य प्रकाश सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी सिरकोनी अमरेश सिंह, मीडिया प्रभारी लक्ष्मीकांत सिंह, यूटा जिलाध्यक्ष डॉ. हेमंत सिंह तथा प्रधानाध्यापिका डॉ. उषा सिंह मंचासीन रहे। छात्रों ने प्रस्तुत सरस्वती वंदना और स्वागत गीत ने कार्यक्रम को आध्यात्मिक रंग में रंग दिया।
समारोह का मुख्य आकर्षण राम, लक्ष्मण एवं सीता जी की दिव्य झांकी रही जिसे देखकर दर्शक भाव-विभोर हो उठे। सभी मुख्य अतिथियों ने भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता की आरती की। दिव्यांग छात्रा श्वेता सोनी द्वारा प्रस्तुत भजन "राम आएंगे, आएंगे..." ने भावनाओं का समंदर लहरा दिया। इसके साथ शिक्षिका पूनम राव, दीपा मिश्रा, ऋचा सिंह और प्रियंका मिश्रा ने प्रस्तुत भजनों ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
प्रधानाचार्य डॉ. सत्य प्रकाश सिंह ने विद्यालय को हरा—भरा बनाने एवं मंच निर्माण हेतु 1,00,000 की सहयोग राशि देने की घोषणा की गयी जिसे विद्यालय परिवार ने आभारपूर्वक स्वीकार किया। सभी विशिष्ट अतिथियों ने कार्यशाला की सराहना करते हुये कहा कि रामायण और वेद आज के समय में और भी अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। श्रीराम, लक्ष्मण, सीता सहित अन्य पात्रों का चरित्र आज के नैतिक पतन, अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार के खिलाफ मार्गदर्शक बन सकता है। कार्यशाला के माध्यम से बच्चों में संस्कार, नैतिकता और संस्कृति के बीज बोए जा रहे हैं।
समारोह में रीता देवी, अनीता देवी, राजेश यादव, लक्ष्मी यादव, उषा देवी, मनभावती देवी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन ऋचा सिंह ने किया। अंत में प्रधानाध्यापिका डॉ. उषा सिंह ने आभार प्रदर्शन किया। जौनपुर में आयोजित यह कार्यशाला न केवल शिक्षा का एक माध्यम बनी, बल्कि रामायण के मूल्यों को बच्चों में रोपित करने का एक सशक्त प्रयास भी सिद्ध हुई। समापन समारोह की भव्यता और अध्यात्मिक गरिमा ने इसे अविस्मरणीय बना दिया।

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