Jaunpur News : ​मृत्यु भोज संस्कार नहीं सामाजिक विकृति, कुरीति पर लगानी होंगी रोक : यशवंत सिंह

चंदवक, जौनपुर। अटल मनरेगा पार्क बीरीबारी में आयोजित मृत्यु भोज सामाजिक विकृति, अपव्यय को सीमित करने का सुझाव विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि अवकाश प्राप्त सीडीओ यशवंत सिंह ने कहा कि त्रयोदश संस्कार के नाम पर मृत्यु भोज करना यह संस्कार नहीं बल्कि सामाजिक विकृति है। ऐसी कुरीति पर रोक लगना अति आवश्यक है। मृत्यु भोज को अनिवार्य की श्रेणी में लाया जाना जबकि तिलक व अन्य उत्सव के कार्यक्रम को वैकल्पिक स्वरूप प्रदान किया जाना आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के खिलाफ अन्याय करने व सामाजिक विकृतियों को बढ़ावा देने के समान है। मृत्यु भोज निश्चित तौर पर सामाजिक विकृति है इसको किसी भी प्रकार से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता। इस पर रोक लगना नितांत आवश्यक है। लोगों को इसके लिए जागरूक करने की आवश्यकता है। समाजसेवी व इंटर कॉलेज के प्रबंधक वीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि समाज के लोगों को इसके प्रति जागरूक होना पड़ेगा कि मृत्यु भोज अपव्यय तो है ही साथ-साथ सामाजिक अनिवार्यता के बोझ तले दबे होने के कारण उन्हें भी मृत्यु भोज करना पड़ता है, जो आर्थिक रूप से विपन्न है। वक्ताओं ने कहा कि मृत्यु भोज निश्चित तौर पर सामाजिक बुराई है जो उन लोगों के लिए अनिवार्य बना दिया गया जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है। सामाजिक, आर्थिक रूप से सक्षम लोग इस सामाजिक बुराई का परित्याग कर समाज में उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं। सुझाव दिया गया कि खर्च किए जाने वाले पैसे से असहायों की मदद किया जा सकता है। बीमारी से ग्रस्त लोगों की, गरीब प्रतिभावान छात्रों की सहायता कर की जा सकती है। संकल्प लिया गया कि मृत्यु भोज नहीं खाया जाएगा। कार्यक्रम को मधुसूदन सिंह, देवेंद्र सिंह, डा. हर्षवर्धन सिंह, श्रीकांत सिंह, राम प्रकाश सिंह, श्रीकांत सिंह व जय प्रकाश ने भी संबोधित किया। संगोष्ठी के संयोजक अरुण सिंह व नन्दलाल प्रजापति ने विषय से संबंधित आए सुझावों का स्वागत करते हुए इसके अमल पर बल दिया। अध्यक्षता रामदास यादव व संचालन गोपाल शर्मा ने किया।

0 تعليقات

إرسال تعليق

Post a Comment (0)

أحدث أقدم