जौनपुर। जनपद के केराकत तहसील क्षेत्र के डेहरी गांव में रविवार को नौशाद अहमद दूबे के भतीजे खालिद दूबे की शादी के उपलक्ष्य में आयोजित दावत-ए-वलीमा (बहू भोज) धार्मिक, सामाजिक और अकादमिक जगत की हस्तियों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन गया। इस कार्यक्रम में विभिन्न समुदायों और विचारधाराओं के लोगो की उपस्थिति ने गंगा जमुनी तहजीब के जनपद जौनपुर में सामाजिक समरसता की एक नई इबारत लिख दी।
यह बहू भोज इसलिए भी ऐतिहासिक रहा, क्योंकि नौशाद अहमद दूबे ने अपने परिवार की जड़ों को खुलकर स्वीकार किया। उन्होंने बताया कि उनके पुरखे औरंगजेब के कार्यकाल में किन्हीं कारणों से ब्राह्मण धर्म (दुबे) से इस्लाम में परिवर्तित हुए थे।इस इतिहास को सार्वजनिक करते हुए उन्होंने संदेश दिया कि उन्होंने अपनी जड़ और संस्कृति को पुनः जोड़ने का काम किया है। उन्होंने कहा "हम आपके ही लोग हैं, हम कोई बेगाने लोग नहीं हैं।" इसी आत्मीय भाव के साथ उन्होंने अपने आमंत्रण पत्र में सभी समाजों के लोगों को आमंत्रित किया था जिस कारण यह कार्ड देश और दुनिया में अत्यन्त वायरल हुआ।
राष्ट्रीय हस्तियों और सन्तों का जमावड़ा
इस सद्भाव के कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्तर की हस्तियों का जमावड़ा लगा। इस अवसर पर जगतगुरु बालक दास जी महाराज (पातालपुरी पीठाधीश्वर), संघ के वरिष्ठ प्रचारक और नेता इंद्रेश जी, डॉ. कृष्ण गोपाल जी संघ के वरिष्ठ प्रचारक, प्रो. डॉ. राजीव जी: विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष (BHU), यूथ इन एक्शन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष शतरुद्र प्रताप सिंह के अलावा कार्यक्रम में जम्मू विश्वविद्यालय तक के प्रोफेसरों की उपस्थिति रही।
सभी ने नौशाद दूबे के कार्यों को सराहा
उपस्थित सभी संतों और नेताओं ने नवदम्पत्ति को आशीर्वाद दिया और नौशाद अहमद दूबे के प्रयासों की सराहना की। विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. डॉ. राजीव जी ने कहा कि यह बहू भोज दिखाता है कि भारत में सांस्कृतिक एकता हमेशा धर्म से ऊपर रही है। इस दावत-ए-वलीमा में विभिन्न समुदायों के लोगों ने एक साथ बैठकर भोजन किया और खालिद दूबे एवं उनकी पत्नी को सुखी वैवाहिक जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं। यह आयोजन जौनपुर की माटी में निहित राष्ट्रीय एकता और आपसी भाईचारे की भावना को दृढ़ता से प्रदर्शित करता है।
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