जौनपुर/लखनऊ। साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का नाम रोशन करने वाले रतन श्रीवास्तव एक बार फिर सुर्खियों में हैं। मूलतः जौनपुर के मछलीशहर तहसील अन्तर्गत ग्राम कोटवा निवासी रतन कुमार वर्तमान में उत्तर प्रदेश सचिवालय लखनऊ में निजी सचिव पद पर कार्यरत हैं लेकिन उनकी असली पहचान एक संवेदनशील साहित्यकार के रूप में उभर रही है। 2021 में ग़जल-संग्रह ख्वाबों में ज़िन्दगी मुस्कुराती रही' से मिली साहित्यिक पहचान
रतन जी की पहली पुस्तक वर्ष 2021 में प्रकाशित हुई थी जिसने अमेज़न की बेस्टसेलर रैंकिंग में जगह बनाई। इस कृति के लिए उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिष्ठित "जयशंकर प्रसाद पुरस्कार" (1,00,000) और 'कादम्बरी' (जबलपुर म.प्र.) का 'साज जबलपुरी स्मृति सम्मान' (2024) प्राप्त हुआ।नये गजल-संग्रह 'ख्वाबों का ताना-बाना' का हुआ विमोचन
हाल ही में उनकी दूसरी पुस्तक 'ख़्वाबों का ताना-बाना' (ग़ज़ल-संग्रह) का विमोचन लखनऊ के फोनिक्स प्लासिओ मॉल में हुआ। यह विशेष क्षण तब और भी यादगार बन गया जब देश की प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्था वाणी प्रकाशन नई दिल्ली के निदेशक श्री अरुण माहेश्वरी स्वयं पुस्तक की पहली प्रतियाँ सौंपने समारोह में उपस्थित हुये।
सम्मानों की श्रृंखला
रतन कुमार को साहित्य एवं सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए देशभर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है: हर घर तिरंगा नारा लेखन प्रतियोगिता (2022) राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय स्थान, उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग निबंध प्रतियोगिता (2022) तृतीय स्थान, भारत मेरी जान अवार्ड (2023) मुंबई स्थित सर्वधर्म समभाव संस्था द्वारा साहित्य श्री सम्मान (2024) स-व-रू फाउंडेशन लखनऊ, रेवांत साहित्य गौरव सम्मान (2024) रेवांत संस्था लखनऊ।
अब तक प्राप्त हो चुकी है 51,000 की रायल्टी
उनकी पहली पुस्तक को अब तक 51,000 की रॉयल्टी प्राप्त हो चुकी है जो पाठकों के बीच उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है। 'पद्मावतीयम्', रतन खण्ड, शारदा नगर योजना, लखनऊ में रहने वाले रतन कुमार का कहना है कि "ख़्वाबों की आमद आज तब और मुकम्मल हुई, जब मेरी ग़ज़लों की किताब पाठकों के हाथों में पहुँची। अब उड़ान आप सब के हाथों में है।"
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