Delhi : सरदार जस्सा सिंह अहलूवालिया का 308वां जन्मदिवस धूमधाम से मना

कलवार समाज के जस्सा जी ने तमाम ऐतिहासिक कार्य किेये: शैलेन्द्र जायसवाल
दिल्ली। सफदरजंग एनक्लेव के आर्य समाज मंदिर के सभागार में रामकुमार वालिया के संयोजन में जो उत्तराखंड सरकार में पूर्व राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त हैं, सर्वसमाज के साथ कलाल समाज सैकड़ों बंधुओं ने सरदार महराजा जस्सा सिंह अहलूवालिया की जन्म जयंती पर उनको श्रद्धांजलि और पुष्पांजलि अर्पित किया।
सभा में उत्तराखंड सरकार के सामाजिक कल्याण विभाग के दर्जा प्राप्त मंत्री देशराज करनवाल, दिल्ली भाजपा के नेता विजय भगत, पूर्व डिप्टी मेयर उत्तरी दिल्ली नगर निगम, दिल्ली के वरिष्ठ समाजसेवी एडवोकेट शैलेंद्र जायसवाल राष्ट्रीय महासचिव अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय की महासभा, मीनाक्षी जायसवाल राष्ट्रीय संयोजिका अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महिला महासभा, अमृता जायसवाल, गोविन्द वालिया, संजय अहलूवालिया, विकास वालिया, अविनाश जयसवाल राष्ट्रीय संगठन मंत्री सिक्ख संगत/वरिष्ठ प्रचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आदि मौजूद रहे।
इस मौके पर उपस्थित लोगों ने सरदार जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि और पुष्पांजलि अर्पित किया जहां शैलेन्द्र जायसवाल ने कहा कि किस प्रकार से सरदार जस्सा सिंह जो शेर हिंद के नाम से जाने जाते हैं, ने मुगल शासको को पराजित कर अनेकों उल्लेखनीय कार्य किये थे। सिक्ख धर्म के दसवें गुरु, खालसा पंथ के संस्थापक श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज भी हमारे ही कलाल समाज के जन्म लेने वाले गौरवशाली महाराज थे। इस श्रृंखला में कलाल परिवार में जन्म लेने वाले महाराजा सरदार जस्सा सिंह ने भी कई कीर्तिमान स्थापित किया। पूरे कलाल समाज को ही नहीं, बल्कि पूरे देश के हिन्दू समाज को भी उन पर गर्व है।
उन्होंने बताया कि सरदार जस्सा सिंह कलवार जाति से संबंध रखते थे। वह एक महान सिख योद्धा थे जिन्होंने 18वीं शताब्दी में सिख साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनका जन्म 3 मई 1718 को लाहौर के पास अहलू गांव लाहौर में हुआ था। उनके पिता का नाम बदर सिंह और माता का नाम जीवन कौर था। जस्सा सिंह ने अपनी शिक्षा गुरुओं और विद्वानों से प्राप्त की और शस्त्र विद्या और घुड़सवारी में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया। जस्सा सिंह ने सिख साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अहमद शाह अब्दाली, खादिर शाह जैसे शक्तिशाली आक्रमणकारियों का सामना किया और सिख साम्राज्य की रक्षा की। उन्होंने लाहौर पर विजयी प्रवेश किया और सिख सेना का नेतृत्व किया। जस्सा सिंह ने अब्दाली की सेना पर हमला किया और बंदी बनाए गए हिंदू महिलाओं को मुक्त करवाया। उन्होंने नादिर शाह की सेना पर हमला किया और लूट और बंदी महिलाओं को बरामद किया। उन्होंने लाहौर पर विजयी प्रवेश किया और सिख सेना का नेतृत्व किया। सभा की संयोजक रामकुमार बलिया ने सभी को पुष्पगुच्छ भेंट करते हुये उपस्थित बच्चों को उपहार भेंट करके सम्मानित किया।

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